और उसी समय वो बजरंगदल की शाखा में जाने लगे और सन् 1997 में हिन्दू धर्म और गौ रक्षा पर दिनोदिन बढ़ रहे अत्याचार को देखते हुए मन में एक प्रण ले लिया कि अगर कुछ करना ही है तो हिन्दू धर्म की रक्षा और गौ माता की रक्षा करने में मेरा सम्पूर्ण जीवन इसी कार्य में लगाऊंगा और सन् 1998 में विद्यालय के अन्दर सांस्कृतिक कार्यक्रम होते तब हर कार्यक्रम में देश-भक्ति पर उग्र क्रान्तिकारी भाषण देते रहे हैं। माता-पिता के आज्ञा का पालन कर सर्वप्रथम माता पिता की सेवा को सर्वश्रेष्ठ मानते हुए उनका आशीर्वाद लेकर के हमेशा घर से बाहर निकलते उनका कहना है कि मेरी जाति हिन्दू हैं और हिन्दु मेरा धर्म है मै सर्व जाति को समान समझता हूँ और ऊँच नीच का भेदभाव मिटाना चाहता हूँ। मैं हिन्दुत्व के लिए जीता हूँ और हिन्दू समाज को संगठित करने की कोशिश करूंगा। मेरी दिल कि तमन्ना है और हर व्यक्ति कि मदद करने में 24 घण्टे सेवा में हमेशा तत्पर रहूँगा। सबसे ज्यादा किसी भी व्यक्ति को अस्पताल में किसी भी तरह की आवश्यकता पडने पर उन्होंने हर समय हर तरीके से मदद की हैं। और करते रहेंगे सन् 1998 से लगाकर 2015 तक वो समाज सेवा और हिन्दू धर्म की रक्षा और गौ रक्षा के लिये एक कट्टर हिन्दूवादी क्रान्तिकारी के रूप में उभरते हुए युवा के रूप में तन-मन-धन से सहयोग करते रहे हैं और हमेशा क्रान्तिकारी पुस्तक पढ़ने के शौकिन रहे हैं। हिन्दू धर्म की रक्षा एवं गौ माता की रक्षा के लिए सुरेश नोरवा हमेशा आगे आते रहे हैं।